विवादित ढांचा को ढहाए हुए 27 साल हो गए हैं। 1992 की इस घटना को हर साल हिंदू और मुस्लिम पक्ष अपने-अपने तरीके से याद करते थे। हिंदू शौर्य दिवस तो मुस्लिम पक्ष काला दिवस मनाते आ रहे हैं। 9 नवंबर को अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आ चुका है। इस बीच शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा व सतर्कता के बीच अयोध्या में पूरी तरह से शांति बनी रही। हिंदू व मुस्लिम संगठनों ने भी इस बार अपने आपको तनावपूर्ण कार्यक्रमों से अपने आपको दूर रखा। अयोध्या के डीएम अनुज कुमार झा के मुताबिक दोनों सम्प्रदायों के संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानते हुए अपने कार्यक्रमों को नहीं किया।
बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे हाजी महबूब ने कहा कि मेरे आवास पर यौमे गम का कार्यक्रम हर साल होता रहा है। इस साल कोर्ट के फैसले के बाद लोगों इसमें कोई रूचि नहीं दिखाई तो इसे रद्द कर दिया गया। अब जुमे की नमाज के साथ ही कुरान पढ़ कर यौमे गम भी मना लिया गया। अयोध्या जिले की मस्जिदों में जुमे की नमाज शांति पूर्ण माहौल व कड़ी सुरक्षा के बीच सम्पन्न हो गई।
बाबरी मस्जिद के मुख्य मुद्दई मो इकबाल अंसारी अपने घर के पास की चाय की दुकान पर चुस्कियां लेते नजर आए। उन्होंने कहा कि अब पुरानी बातों को लेकर दर्द कुरेदने का समय खत्म है। इस तारीख को आगे के दिनों में सद्भावना दिवस के तौर पर मनाया जाए। अब रिश्तों को सुधारने का समय आ गया है। इससे ही कौम की तरक्की होगी।
राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास का कहना है कि दोनों संगठनों ने खुशी व गम के कार्यक्रमों को रद्द कर अच्छा संदेश दिया है जिससे सारी दुनिया में अच्छा संदेश जाएगा।
विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि संतों के निर्देश पर शौर्य दिवस के कार्यक्रम को रद्द कर सद्भावना कायम करने की पहल की है।अब सायं मठ मंदिर व घरों में दीप जलाकर कौमी एकता का संदेश प्रसारित होगा।दीप से दीप जलाकर यह संदेश घर घर तक पहुंचाया जाएगा।
जनजीवन रहा सामान्य
हालांकि जिले के संवेदनशील स्थलो पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। इस दौरान धारा 144 को कड़ाई से लागू किया गया। इसके बावजूद स्कूल कालेज व बाजार खुले रहे। हर साल जहां मुस्लिम समुदाय के लोग अपने संस्थानों को बंद कर काला दिवस मनाते थे। वहीं इस साल इसे भी नकार दिया गया। मुस्लिम वर्ग के लोगों ने अपनी दूकानों को खोले रखा और काले झंडे नहीं लगाए।
फैसले के बाद अयोध्या में जमीनों के दाम बढ़ने की चर्चा
अयोध्या के पत्रकार भानु बताते हैं कि जब से सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से ही अयोध्या की जमीनों के दाम बढ़ने शुरू हो गए हैं। 14 कोसी परिक्रमा से जुड़े गांव पहाड़गंज, देवकाली, रानोपाली गांव में जमीनों के दाम में बढ़ोत्तरी हुई है। पहले लाख डेढ़ लाख बिस्वा जमीन थी, अब वही जमीन 6 से 7 लाख बिस्वा मिल रही है